बोलने वाली मांद
किसी जंगल में एक शेर रहता था। एक बार वह दिन-भर भटकता रहा, किंतु भोजन के लिए कोई जानवर नहीं मिला। थककर वह एक गुफा के अंदर आकर बैठ गया। उसने सोचा कि रात में कोई न कोई जानवर इसमें अवश्य आएगा। आज उसे ही मारकर मैं अपनी भूख शांत करुँगा।उस गुफा का मालिक एक सियार था। वह रात में लौटकर अपनी गुफा पर आया। उसने गुफा के अंदर जाते हुए शेर के पैरों के निशान देखे। उसने ध्यान से देखा। उसने अनुमान लगाया कि शेर अंदर तो गया, परंतु अंदर से बाहर नहीं आया है। वह समझ गया कि उसकी गुफा में कोई शेर छिपा बैठा है। चतुर सियार ने तुरंत एक उपाय सोचा। वह गुफा के भीतर नहीं गया।उसने द्वार से आवाज लगाई- ‘ओ मेरी गुफा, तुम चुप क्यों हो? आज बोलती क्यों नहीं हो? जब भी मैं बाहर से आता हूँ, तुम मुझे बुलाती हो। आज तुम बोलती क्यों नहीं हो?’गुफा में बैठे हुए शेर ने सोचा, ऐसा संभव है कि गुफा प्रतिदिन आवाज देकर सियार को बुलाती हो। आज यह मेरे भय के कारण मौन है। इसलिए आज मैं ही इसे आवाज देकर अंदर बुलाता हूँ। ऐसा सोचकर शेर ने अंदर से आवाज लगाई और कहा-‘आ जाओ मित्र, अंदर आ जाओ।’आवाज सुनते ही सियार समझ गया कि अंदर शेर बैठा है। वह तुरंत वहाँ से भाग गया। और इस तरह सियार ने चालाकी से अपनी जान बचा ली।
पंचतंत्र की कहानियां
प्राचीन काल में एक राजा थे। उसके तीन पुत्र थे। तीनों बड़े मूर्ख थे। पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता था। कोई भी शिक्षक उन्हें पढ़ा न सका। अंत में विष्णु शर्मा नामक एक विद्वान ने केवल छह महीनों में राजकुमारों को पूरी तरह से शिक्षित करने का उत्तरदायित्व लिया।वह प्रतिदिन राजकुमारों को नई-नई कहानियां सुनाते। जिनके पात्र मुख्यतः पशु-पक्षी होते थे। राजकुमार इन कहानियों को बड़े ध्यान से सुना करते थे। फलस्वरूप कुछ ही समय में तीनों सफल जीवन के गुणों से परिचित हो गए। लोक-व्यवहार, आत्मविश्वास, संपन्नता, दृढ़संकल्प, मित्रता और विद्या के सही संयोग से ही मनुष्य सुखी जीवन जी सकता है।इसी कौशल को इन कहानियों में बड़ी बानगी से उतारा गया है। यही कहानियां पंचतंत्र के नाम से जानी जाती हैं। शताब्दियों पुरानी ये कहानियां, जो संस्कृत में लिखी गईं थी, आज भी विश्व साहित्य की अमर थाती हैं।
कहाँ तक पहुची अविरत यात्रा
-
कृष्ण तो हमेशा से हमारे साथ हैं बस हमें अर्जुन जैसा साधक बनना है
-
* म*हाभारत उस जद्दोजहद की कहानी है जिससे हम रोज जूझते हैं। महाभारत के सभी
चरित्र हमें अपने आसपास मिल जाएंगे। ये चरित्र हमारे भीतर भी मौजूद हैं। तभी
तो गीत...
-
-
तीर्थ यात्रा १३ फरवरी
-
कलशयात्रा के साथ तपोवन मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा
रांची, कार्यालय प्रतिनिधि: कोकर स्थित न्यू तपोवन कालोनी में नवनिर्मित मंदिर
में मूर्तियों का प्राण प्रतिष्ठ...
-
कीजिये अपनी बैटरी चार्ज
-
मनुष्य की मूलभूत ज़रूरतों में रोटी, कपड़ा और मकान के साथ ही मनोरंजन भी
शामिल है। आदिम से लेकर आज तक का मानव इतिहास इस बात का गवाह है। २ मिनट किसी
से हँस कर...
-
दोस्ती की परख
-
एक जंगल था । गाय, घोड़ा, गधा और बकरी वहाँ चरने आते थे । उन चारों में मित्रता
हो गई । वे चरते-चरते आपस में कहानियाँ कहा करते थे । पेड़ के नीचे एक खरगोश का
घर ...
-
अपने ईष्ट देवता की आराधना कीजिये
-
शिव चालीसा...........................शनि चालीसा..........................
संतोषी चालीसा.......................हनुमान चालीसा.....................
लक्ष्मी चा...
-
हिन्दू धर्मं ग्रंथों का संक्षिप्त विवरण
-
*प्राचीन भारतीय धार्मिक साहित्य के मुख्य दो भाग हैं: *
* श्रुति, * स्मृति
श्रुति : श्रुति का शाब्दिक अर्थ होता है - सुना हुआ । कुछ लोग श्रुति को
गुरू-शिष्य...
-
-
सुनो रे भाई राम कहानी
-
तुलसीदास जी के अनुसार सर्वप्रथम श्री राम की कथा भगवान श्री शंकर ने माता
पार्वती जी को सुनाया था। जहाँ पर भगवान शंकर पार्वती जी को भगवान श्री राम की
कथा सु...
-